आयुर्वेद अनुसार दिनचर्या: सुबह से रात तक का सही क्रम

आयुर्वेद
Dec 16, 2025
loding

प्रस्तावना:

आयुर्वेदिक दिनचर्या भारतीय जीवनशैली का आधार है। यदि हम प्रकृति के अनुसार अपनी दिनचर्या व्यवस्थित करें तो रोग पास नहीं आते और मन-शरीर संतुलित रहता है। आइए जानते हैं सुबह से रात तक आयुर्वेद दिनचर्या का सही क्रम।


सुबह की आयुर्वेदिक दिनचर्या (Morning Ayurveda Dincharya):

1. ब्रह्ममुहूर्त में उठना:

सूर्योदय से 1.5–2 घंटे पहले उठना श्रेष्ठ है।

प्राणवायु शुद्ध रहती है और मन शांत होता है।

ध्यान और जप का यह उत्तम समय है।

2. शौच क्रिया:

नींद से उठते ही शौच जाना चाहिए।

वेग को रोकना रोगों का कारण है।

3. दंतधावन (दांत साफ करना):

नीम, बबूल जैसी दातून उत्तम मानी जाती है।

दांत मजबूत और श्वास ताज़ा रहते हैं।

4. जिह्वा निरलेखन (जीभ साफ करना):

जीभ पर जमे विषाक्त पदार्थ हटते हैं।

पाचन और स्वाद शक्ति बढ़ती है।

5. नेत्र शुद्धि और अंजन:

त्रिफला जल से आंखें धोना लाभकारी।

आंखों की रोशनी बनी रहती है।

6. गंडूष और कवला (तेल कुल्ला):

तिल या नारियल तेल से कुल्ला करने से दांत-मसूड़े मजबूत होते हैं।

7. व्यायाम और योगाभ्यास:

प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, हल्का व्यायाम शरीर को सक्रिय करता है।

8. अभ्यंग (तेल मालिश):

सप्ताह में 2-3 बार तेल मालिश से त्वचा और हड्डियाँ मजबूत होती हैं।

9. स्नान:

गुनगुने जल से स्नान शरीर को शुद्ध करता है।

10. प्रार्थना और ध्यान:

सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति के लिए ध्यान आवश्यक है।


दिन की आयुर्वेदिक दिनचर्या (Day Ayurveda Dincharya):

1. नाश्ता:

हल्का और सुपाच्य नाश्ता करना चाहिए।

मौसमी फल, अंकुरित अनाज उत्तम हैं।

2. दैनिक कार्य (कर्मयोग):

नियमित काम में लगना चाहिए।

आलस्य तमोगुण को बढ़ाता है।

3. मध्याह्न भोजन:

दोपहर का भोजन सबसे प्रमुख है।

दाल, चावल, सब्ज़ी और घी का सेवन करें।

4. अल्प विश्राम (वामकुक्षी):

दोपहर में 20–30 मिनट का विश्राम ताजगी देता है।

शाम की आयुर्वेदिक दिनचर्या (Evening Ayurveda Dincharya)

5. सायं कालीन आचरण:

हल्का व्यायाम, टहलना और संध्योपासना करें।

सूर्यास्त के बाद भारी काम न करें।

6. रात्रि भोजन:

हल्का और सुपाच्य भोजन लें।

खिचड़ी, दलिया, हल्की सब्जियां उत्तम हैं।

दही और भारी भोजन रात में न खाएं।

7. भोजन के बाद आचरण:

100 कदम टहलना पाचन के लिए लाभकारी है।

परिवार संग समय बिताना मानसिक संतुलन देता है।


रात की आयुर्वेदिक दिनचर्या (Night Ayurveda Dincharya):

निद्र(नींद):

रात 10 बजे तक सो जाना उत्तम है।

गहरी नींद शरीर की मरम्मत करती है और तनाव मिटाती है।


आयुर्वेद दिनचर्या से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ):


Q1. आयुर्वेद में दिनचर्या क्यों जरूरी है?

क्योंकि यह शरीर और मन को संतुलित रखकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।


Q2. ब्रह्ममुहूर्त में उठना क्यों लाभकारी है?

इस समय वायु शुद्ध होती है और ध्यान-योग के लिए मन स्थिर रहता है।


Q3. रात का भोजन हल्का क्यों होना चाहिए?

क्योंकि रात में पाचन अग्नि कमजोर रहती है, भारी भोजन से अपच और रोग बढ़ते हैं।


निष्कर्ष:

आयुर्वेदिक दिनचर्या केवल नियम नहीं बल्कि जीवन जीने की कला है। यदि हम सुबह से रात तक इन आदतों को अपनाएँ, तो दीर्घायु, रोगमुक्त और प्रसन्न जीवन प्राप्त कर सकते हैं।


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