आयुर्वेद में अमृत तुलसी के औषधीय गुण और तुलसी की पौराणिक कथा

आयुर्वेद
Dec 22, 2025
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भूमिका:

भारतीय संस्कृति में पौधों का विशेष स्थान रहा है। यहाँ हर वृक्ष और हर पत्ती में जीवन का स्पंदन देखा गया है। इन्हीं पवित्र पौधों में सबसे प्रमुख स्थान तुलसीको दिया गया है। तुलसी न केवल एक धार्मिक पौधा है, बल्कि यह औषधीय दृष्टि से भी अमृत समान है। प्राचीन ग्रंथों में तुलसी को देवताओं की प्रियऔर जीवनदायिनीकहा गया है। 

आयुर्वेद में तुलसी को “Elixir of Life” यानी जीवन अमृत कहा गया है। तुलसी में पाए जाने वाले तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। साथ ही, इसका धार्मिक महत्व भी अपार है - हर हिंदू घर में तुलसी का पौधा एक दिव्य आशीर्वाद के रूप में पूजित होता है। 


तुलसी का परिचय और प्रकार:

तुलसी (Ocimum sanctum) को संस्कृत में सुरस कहा गया है। इसके दो प्रमुख प्रकार होते हैं:

1.      श्री तुलसी (हरी तुलसी)

2.      कृष्णा तुलसी (काली तुलसी)

हरी तुलसी का रंग हल्का हरा होता है, जबकि कृष्णा तुलसी के पत्ते गहरे बैंगनी या काले रंग के होते हैं। दोनों ही प्रकार औषधीय दृष्टि से समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।


तुलसी के रासायनिक तत्व:

आयुर्वेदिक अनुसंधानों के अनुसार तुलसी के पत्तों में पाए जाते हैं -

  • यूजेनॉल (Eugenol)
  • यूर्सोलिक एसिड (Ursolic Acid)
  • लिनोलेनिक एसिड
  • टर्पीन, फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स

ये सभी तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और शरीर को डिटॉक्सिफाई करते हैं।


आयुर्वेद में तुलसी का औषधीय महत्व:

आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्ते “त्रिदोष नाशक” है - मतलब हमारे शरीर के वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित और नियंत्रित करती है।

1. सर्दी-जुकाम और खांसी में लाभदायक:

तुलसी के पत्तों का काढ़ा सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार और गले के संक्रमण में अत्यंत प्रभावी है। तुलसी में प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण होते हैं।

2. श्वसन रोगों में औषधि:

तुलसी के रस पीने से दमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी में राहत देता है। इसके वाष्प यानी नास लेने से सांस की नली को खोलता है।

3. हृदय और रक्त शुद्धिकरण में सहायक:

तुलसी के रोज तीन पत्ते से रक्त का परिवहन अच्छा होता है और कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रण में हो जाता है।

4. मानसिक शांति और तनाव में कमी:

तुलसी की सुगंध मन को शांत करती है। तुलसी का नियमित सेवन कोर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करता है, जिससे तनाव कम होता है।

5. रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Booster):

तुलसी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। COVID-19 काल में भी तुलसी का काढ़ा प्रतिरक्षा बढ़ाने में उपयोग किया गया।


वैज्ञानिक दृष्टि से तुलसी:

आधुनिक विज्ञान ने भी तुलसी की औषधीय क्षमता को स्वीकार किया है। अनुसंधान बताते हैं कि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-कैंसर गुण होते हैं।

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार तुलसी को “Medicinal Plant of the Year” की श्रेणी में शामिल किया गया है।
इसे “Natural Adaptogen” भी कहा जाता है - यानी ऐसा पौधा जो शरीर को बदलते वातावरण और मानसिक दबाव से अनुकूलित रहने में मदद करता है।


पौराणिक महत्व:

1. तुलसी और भगवान विष्णु:

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी तुलसी भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। उन्होंने भगवान शालिग्राम के रूप में विष्णु से विवाह किया। इसीलिए तुलसी विवाह (कार्तिक शुक्ल एकादशी) का विशेष महत्व है।

2. तुलसी और समुद्र मंथन:

समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला, तब लक्ष्मी जी समुद्र से प्रकट हुईं। वहीं तुलसी देवी का जन्म अमृत-तत्व से हुआ। इसलिए तुलसी को शुद्धता और भक्तिकी प्रतीक कहा गया।

3. तुलसी का घर में स्थान:

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में तुलसी रखने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है। तुलसी का पौधा घर के उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना गया है।


तुलसी की पूजा विधि:

हर सुबह तुलसी के पौधे में जल अर्पण करना, दीपक जलाना और परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

तुलसी पूजा मंत्र:

"तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे।

नमस्ते नारदनुते नमो नारायणप्रिये॥"


तुलसी का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:

भारतीय परंपरा में तुलसी विवाह, दीवाली के बाद आने वाली एकादशी को मनाया जाता है। यह न केवल धार्मिक उत्सव है बल्कि प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक भी है।
तुलसी का पौधा हवा को शुद्ध करता है, कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है और ऑक्सीजन छोड़ता है।


तुलसी के उपयोग के घरेलू नुस्खे:

1. तुलसी चाय:

तुलसी की चाय पीने से पाचन सुधारता है और तनाव घटता है।

2. तुलसी और शहद:

तुलसी रस और शहद का मिश्रण खांसी-जुकाम में अमृत समान है।

3. त्वचा रोगों में उपयोग:

तुलसी का लेप फोड़े-फुंसी, मुंहासों और कीट-दंश में लगाया जाता है।

 4. बालों के लिए तुलसी:

तुलसी पाउडर को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से बाल मजबूत होते हैं और रूसी दूर होती है।


तुलसी और पर्यावरण:

तुलसी का पौधा दिन-रात ऑक्सीजन उत्पन्न करने वाला पौधा है, इसलिए इसे “प्राकृतिक वायु शोधक अर्थात Natural Air Purifier” भी कहा जाता है।


तुलसी का अध्यात्मिक संदेश:

तुलसी केवल एक पौधा नहीं बल्कि भक्ति-विश्वास, निस्वार्थभाव, शुद्धता और समर्पण का प्रतीक है।
यह हमें सिखाती है कि भक्ति का अर्थ है - स्वयं को भगवान की इच्छा के अनुसार ढाल लेना


निष्कर्ष:

तुलसी भारतीय संस्कृति की आत्मा में बसती है। यह शरीर, मन और आत्मा तीनों के संतुलन की दूत है।
जहाँ तुलसी होती है वहाँ भक्ति-भाव, शुद्धता, शांति, सकारात्मकता और दिव्यता रहती है।
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों तुलसी के अमूल्य गुणों को स्वीकार करते हैं।
इसलिए तुलसी केवल पूजा की वस्तु नहींबल्कि सच्चे अर्थों में तुलसी जीवन की अमृत औषधि है।


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