धन्वंतरि जयंती: अमृत समान औषधियों के अधिष्ठाता देव का दिव्य रहस्य

देव कथाएँ
Dec 25, 2025
loding

प्रस्तावना धन्वंतरि जयंती का पावन महत्व:

धन्वंतरि जयंती को आयुर्वेद जगत का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, जीवन और अमरत्व के विज्ञान का प्रतीक है। इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
उनका प्राकट्य इस बात का संकेत था कि ईश्वर ने मानवता को रोगमुक्ति और दीर्घायु का वरदान प्रदान किया

धन्वंतरि जयंती कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है, जिसे धनतेरसभी कहा जाता है। यह दीपावली से दो दिन पूर्व आती है। इसी दिन भगवान धन्वंतरि के पूजन से जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आयुर्वेद का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


भगवान धन्वंतरि का जन्म और पौराणिक इतिहास:

समुद्र मंथन से उत्पत्ति:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवता और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए क्षीरसागर का मंथन किया, तब सबसे पहले अनेक दिव्य रत्न और वस्तुएँ प्रकट हुईं -
लक्ष्मी जी, कौस्तुभ मणि, अप्सराएँ, उच्चैःश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कालकूट विष आदि।
और अंत में अमृत कलश लिए भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए, जिनके चारों हाथों में

  1. शंख,
  2. चक्र,
  3. जलपात्र, और
  4. अमृत कलश थामे हुए थे।

उनके तेज से चारों दिशाएँ आलोकित हो उठीं। सभी देवता जय धन्वंतरि देव!का घोष करने लगे।
वहीं से उन्हें देव वैद्य और आयुर्वेद के अधिष्ठाता देवता के रूप में सम्मान प्राप्त हुआ।


धन्वंतरि और आयुर्वेद दिव्य चिकित्सा विज्ञान का प्रारंभ:

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का प्रथम आचार्य कहा गया है। उन्होंने ब्रह्मा जी से आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया और फिर उसे मनुष्यों तक पहुँचाया।
आयुर्वेद के अष्टांग आयुर्वेद” (आठ अंग) का प्रारूप उन्हीं की देन है, जिनमें शामिल हैं -

  1. कायचिकित्सा (Medicine)
  2. शल्यचिकित्सा (Surgery)
  3. शालाक्य तंत्र (ENT & Eye)
  4. कौमारभृत्य (Pediatrics)
  5. भूतविद्या (Psychiatry)
  6. अगद तंत्र (Toxicology)
  7. रसयान (Rejuvenation)
  8. वाजीकरण (Aphrodisiac Therapy)

धन्वंतरि संहिता में उन्होंने शरीर, मन, आहार, दिनचर्या, और औषधियों का ऐसा संतुलित विज्ञान प्रस्तुत किया जो आज भी आधुनिक चिकित्सा को दिशा देता है।


धन्वंतरि जयंती कब आती है?:

तिथि और पर्व:

  • तिथि: कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (धनतेरस)
  • समय: दीपावली से दो दिन पहले
  • वर्ष 2025 में धन्वंतरि जयंती की तिथि: 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
    (सूर्योदय के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 19 अक्टूबर रात्रि से प्रारंभ होकर 20 अक्टूबर दोपहर तक रहेगी।)

इस दिन धन्वंतरि भगवान का पूजन करने से रोगों का नाश, आयु में वृद्धि, और स्वास्थ्य लाभ होता है।


भगवान धन्वंतरि के पूजन की विधि:

आवश्यक सामग्री:

  • पीत वस्त्र
  • तुलसी पत्र
  • पंचामृत
  • दीपक
  • पीत पुष्प
  • आंवला, गुड़, घी
  • जल और अक्षत

पूजन विधि:

  1. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलित करें और पुष्प, जल, नैवेद्य अर्पित करें।
  4. “ॐ नमो भगवते धन्वंतरये नमः” इस मंत्र का 108 बार यानी एक माला का जप करें।
  5. तुलसी पत्र अर्पण कर आयुर्वेदिक औषधियों का स्मरण करें।

धन्वंतरि भगवान की अमृत समान औषधियाँ:

भगवान धन्वंतरि ने कहा कि प्रकृति ही औषधि है, और शरीर उसका प्रयोगस्थल।
उन्होंने ऐसी अनेक औषधियों का रहस्य बताया जो जीवन को अमृतमय बनाती हैं।

1. तुलसी जीवनरक्षक पौधा:

तुलसी के पत्तों में एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंटनामक तत्व होते हैं।
यह फेफड़ों को मजबूत करता है, मन को शांत रखता है और रोगप्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है।

2. गिलोय अमरत्व की बेल:

गिलोय को अमृताकहा गया है। यह बुखार, डायबिटीज, इम्युनिटी और तनाव जैसी समस्याओं में प्रभावी है।

3. आंवला अमृतफल:

आंवला में विटामिन C की मात्रा सबसे अधिक होती है। यह त्वचा, बाल, पाचन और यौवन को बनाए रखता है।

4. अश्वगंधा बल और मानसिक शांति का स्रोत:

अश्वगंधा शरीर की ऊर्जा बढ़ाती है, मानसिक स्थिरता और नींद में सहायक है।

5. हरिद्रा (हल्दी) स्वर्ण औषधि:

हल्दी में करक्यूमिन होता है जो सूजन, दर्द और संक्रमण के विरुद्ध कारगर है।

6. नीम रोगनाशक वृक्ष:

नीम शरीर को शुद्ध करता है, रक्त को साफ करता है और त्वचा रोगों में वरदान समान है।

7. त्रिफला आयुर्वेद का अमृत संयोजन:

त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) पाचन तंत्र को मजबूत कर रोगों से सुरक्षा देता है।


धन्वंतरि द्वारा बताए गए स्वास्थ्य के सिद्धांत:

  1. आहार ही औषधि है - यदि आहार संतुलित हो, तो औषधि की आवश्यकता नहीं।
  2. दिनचर्या और ऋतुचर्या का पालन - ऋतु के अनुसार जीवनशैली बदलना ही रोगमुक्त जीवन का रहस्य है।
  3. मानसिक संतुलन - क्रोध, लोभ, ईर्ष्या जैसे दोषों से दूर रहना।
  4. योग और ध्यान - तन और मन दोनों के लिए अनिवार्य।

धनतेरस और स्वास्थ्य का संबंध:

धनतेरस पर धन की पूजा के साथ-साथ धनअर्थात स्वास्थ्य की पूजा भी की जाती है।
वास्तव में, धन का अर्थ केवल सोना-चांदी नहीं बल्कि शरीर और मन की शुद्धता है।
भगवान धन्वंतरि का स्मरण करने से यह दिव्य स्वास्थ्य-धनप्राप्त होता है।


आधुनिक विज्ञान और धन्वंतरि सिद्धांत:

आज के वैज्ञानिक शोधों ने भी सिद्ध कर दिया है कि आयुर्वेदिक औषधियाँ कोशिका स्तर पर कार्य करती हैं।
धन्वंतरि के बताए सिद्धांत जैसे अग्नि तत्त्व, त्रिदोष सिद्धांत (वात, पित्त, कफ) और रस-धातु-मल सिद्धांत आज भी शरीर के मेटाबोलिक विज्ञान से मेल खाते हैं।


धन्वंतरि जयंती पर विशेष उपाय:

  1. ॐ धन्वंतरये नमःका 108 बार जप करें।
  2. किसी रोगी को औषधि या फल दान करें।
  3. तुलसी या नीम का पौधा लगाएं।
  4. आंवला का सेवन प्रारंभ करें।
  5. अपने शरीर और मन दोनों की शुद्धि करें।

निष्कर्ष अमृतमय जीवन का मार्ग:

धन्वंतरि जयंती हमें याद दिलाती है कि स्वास्थ्य ही सच्चा धन है
भगवान धन्वंतरि के उपदेश और आयुर्वेद का ज्ञान न केवल रोगों का नाश करता है, बल्कि हमें प्रकृति के साथ एकत्व का अनुभव कराता है।

जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से पूजन करता है, वह जीवनभर रोगों से मुक्त और आनंदित रहता है।