भारत भूमि पर जब भी किसी वृक्ष की बात आती है, तो वह केवल एक पौधा नहीं बल्कि “जीवंत संस्कृति” का प्रतीक
होता है। अशोक वृक्ष (वैज्ञानिक नाम: Saraca asoca) भी ऐसा ही एक पवित्र वृक्ष है जो “शोक”
अर्थात् दुख का नाश करने वाला माना गया है। इसी कारण इसका
नाम पड़ा “अशोक”, यानी “जो शोक को हर ले”।
अशोक वृक्ष की छाया में केवल ठंडक नहीं, बल्कि शांति, सौंदर्य और स्वास्थ्य का वरदान भी है। यह वृक्ष विशेषतः स्त्रियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में वरदान स्वरूप बताया गया है।
अशोक वृक्ष का
नाम आते ही सबसे पहले स्मरण होता है,
“अशोक वाटिका”
का, जहाँ देवी सीता जी को रावण ने बंदी बनाया था।
रामायण के
अनुसार, जब रावण माता
सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया, तो उसने उन्हें अपने महल में न रखकर
अशोक वाटिका में रखा। वहाँ
अशोक वृक्षों की कतारें थीं, जिनके बीच सीता माता प्रभु राम के स्मरण में तप कर रही थीं।
कहा जाता है कि
जब हनुमान जी पहली बार सीता माता से मिलने आए, तब वे
अशोक वृक्ष के
नीचे ही विराजमान थीं। इसी कारण यह वृक्ष
पवित्रता,
धैर्य,
आशा और नारी
शक्ति का प्रतीक बन गया।
“अशोक” का तात्पर्य केवल दुख मिटाने से नहीं है,
बल्कि यह
अंतरात्मा की
शांति का भी प्रतीक है। जब जीवन में मानसिक पीड़ा,
अवसाद, या शारीरिक असंतुलन होता है,
तब यह वृक्ष शांति और स्वास्थ्य दोनों का
प्रतीक बनकर सामने आता है।
आयुर्वेदिक
ग्रंथों जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और
भावप्रकाश
निघण्टु में अशोक वृक्ष को अत्यंत उपयोगी औषधीय वृक्ष के रूप में
वर्णित किया गया है।
आयुर्वेद में अशोक वृक्ष की
छाल को स्त्रियों के अनेक रोगों में
सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। विशेषतः गर्भाशय संबंधी विकार,
मासिक धर्म की अनियमितता,
और दर्द में यह अमृत समान प्रभावकारी है।
अशोकवृक्ष की सूखी छाल को पीसकर बनाया गया चूर्ण या पावडर स्त्री रोगों में राहट और लाभदायी है।
सेवन विधि: 1 चम्मच अशोक चूर्ण को सुबह-शाम गुनगुने
दूध या पानी के साथ लें।
यह सबसे प्रसिद्ध औषधि है जो लगभग हर आयुर्वेदिक चिकित्सक महिलाओं के लिए सुझाता है।
मुख्य घटक: अशोक छाल, गुड़, धायफूल, कुटज, सौंठ आदि।
लाभ:
सेवन विधि:
15-20 मि.ली.
सुबह-शाम बराबर पानी मिलाकर भोजन के बाद लें।
अशोक की
पत्तियों का रस त्वचा रोगों और सूजन में उपयोगी है।
आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों में पाया गया है कि अशोक वृक्ष की छाल में निम्नलिखित रासायनिक तत्व पाए जाते हैं।
इन तत्वों के
कारण इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और हार्मोन-बैलेंसिंग गुण विद्यमान
हैं।
अशोक वृक्ष का
वातावरण को शुद्ध करने में भी बड़ा योगदान है। इसके फूलों की सुगंध मन को प्रसन्न
करती है और मानसिक तनाव घटाती है।
भारतीय वास्तुशास्त्र में कहा गया है कि घर के उत्तर या
पूर्व दिशा में अशोक वृक्ष लगाना सौभाग्य और स्वास्थ्य दोनों को आकर्षित
करता है।
अशोक वृक्ष केवल एक वनस्पति नहीं, बल्कि नारीत्व की ऊर्जा का प्रतीक है। यह शरीर, मन और आत्मा - तीनों स्तरों पर शांति प्रदान करता है।
आयुर्वेद में इसे “स्त्री स्वास्थ्य का सर्वोत्तम रक्षक वृक्ष” कहा गया है, जबकि पौराणिक दृष्टि से यह धैर्य और मातृत्व का प्रतीक है।